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विघुन्माला'.. सीता माता थाओ भाई सारे कामा छोड़ी 'धाई
जाकी गाथा बेदेां गाई. मानों सारी शोभा पाई ॥ ही
प्रमातिका- अनाधकेस्रधारहैं..... मद्देशचित्तचारहैं ... प्रताप के
अंगार हैं. सुराम नाम सार हैं ॥ घट्न दर
मसल्लिका- . रामकृष्णा वासदेव
देव बिंश्वपिच हे सम्ेव ॥ रा
तंगा-.. हरिचरण सहाय विपदट छूरण गा
हर्रिखि हरण घाये ॥ ।
कमल: नर हर पद माना सुखद सुभग
बिशद समझ गाना ॥
_ कासल- रघवर कथा कड़ी. सन सहन्य१
वहा करम को वृघा बडे ॥
कमारललिता- भजाज बज चन्द का त
सख कंद के मजेाज तन फंद के ॥ .
चिचपदा- श्रोरघुबीर पुकारा आओ सन
रखवबारा _ हे तन के बह कारो ॥
ने अन्तर के प्रस्तार का वृहत॑
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सहालच्सी- राम के नाम के गाइये था
ह्ल्तु से चाहिये बुद्धि के भेद से पाइये ॥
_ सारंगिक- नरहरि माथा चहिये सब
परो लिये. नहि कछ काह कडल्ये ॥
पाइता- ' गाओ साथे। रघवबर का था
गंगा बरजल के. पाओ भागे शुभ फल को
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