छाजडिजागए: कनाक गा ..
एम दोहा कि.
८... जीगरापतिकेचरणयुग शारदचरणसनाय।
_ .करोकपा जनजानिके. दीजे अन्ध बनायें ॥.
:....जाहिपड़े आनंद अति, हेतिचचर चित्त ॥
_ तापीछे संग्रह लिखत परदेमुदितनर तौच ।
रिया विज जाके नासलेत घातक अनेकन बहान
डूये॥ साकव बाइत तहां ग्राससियखेर बसे चाहरियबन
रणा निज निज. सनभाइये । तहां ससंबास ताके करत
मंकाश शस्भशंक्ररपी आशंसदा सन बच नाइये २
प्रथस चिपादी लालसमशिसे जि दित जाके ताकेतनिरामि