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Udaibhānalāla
Bhānaprakāśikā — Lakhanaū: Navalakiśora, 1906

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https://doi.org/10.11588/diglit.51643#0010
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... विज्ञठ होकरनाचनेठगती है। और पर फड़फड़ाती है
उससमय उसकी चोचसे उन्हीं छेदों की राहसे अनेक
'_ ग्रकारके झाब्द निकलते हैं जिन्हें छग्राग ( मेघ, दीपक.
डिंडोठ, श्री, मालकोश, भेरो ) ओर इनको रागिनियां .


.. लगजाती है और यह पच्षीमी उसी ढेरके साथ जल- |
_ . अनकर राखह्दीजाती हू इशबरको महिमा से जब उसरा-
. खपर पानीपंड़ताहे तो एक अण्डाबनजाता है और बष
._ दिन के बाद उस अंडे से बच्चा निकठ आता है इसीत-


.....प्रकटहो कि जो राग सातॉंसुरसे बनतेंहें यानी (स,र,
_. गा, सम, प, था, नी ) से उनको सम्पूण कहते है, जा इन ..


हे पांच स्वरों से बनते हैं उनको ऊढ़ो बोठते हूँ ॥ ३॥

दाखय सरमाइय अरारत सक्कहा ८ ॥

हिन्दुओं के मत अनुसार रागोंकी उत्पत्ति श्रीब्रझाजी
... सेहे ओर च्रिमवनमें प्रचार इसका श्री महादेवंजी और
.. श्री नारदजीसे हुआ, बहुतसे पुराने ग्रन्थों में यह लि-


:... तोमर गन्घवकी समता न करसकं उनको बहुतद्दीर्लान
 
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