। _ . के राग रागिनियों में श्रत्यन्त रसीली विरहभरी . £.
गानिकी चीज़ें लिखी हैं व सम्पूर्ण रागरागिनियों
“की व्याख्यान भी संरलरीति से लिखींगड है
का जिसको दि
प्रमीहरिजनों के हिताथे श्रीयुत्त मुन्शीदूघनाथ
१... लालजी झात्मज उदेभानलाल क्रबासुद्रपूर
:... ज़िलागारखपूर निवासी ने, बाबूरामदयाल
.... जी, बाबूगुलाबराय रितराजपुरी ब बाबू
रॉमप्रंसादजी के अनुग्रहसे रचनाकिया
पहिंली बार ..
' लखनऊ
'. मुन्शीं नबलकिशोर ( सी, ाइ; इई ) के छपिख्रानें मैं छुपी
हे फरवरी सन् १९६०६ इ० ......