Universitätsbibliothek HeidelbergUniversitätsbibliothek Heidelberg
Metadaten

Udaibhānalāla
Bhānaprakāśikā — Lakhanaū: Navalakiśora, 1906

DOI Seite / Zitierlink: 
https://doi.org/10.11588/diglit.51643#0008
Überblick
loading ...
Faksimile
0.5
1 cm
facsimile
Vollansicht
OCR-Volltext
सामका ॥

महाद्यायों आपलोगों को भठीमभांति स्पष्ट ोगा कि इस



अवगाह सागर में बड़े २ कबियोंकी बाद्धि कुछ काम न
करसकी तो भला में मतिमन्द मलीनबुद्धि कया करसक-
ताहूं परंच उस सबंदक्तिमान्‌ सच्चिदानन्द परत्रह्म परमे-
- इवरके कि जिसके निभित्त किसी कबिने यो कहदाहे (चींटी
के पांयमें बांधि गयन्द्हिं, चाहें सम॒द्रके पारठगांविं) कमे-
_ छरूपी चरणॉका ध्यान करके अपनी टूटी फूटी भाषामें
अत्यन्त सरऊतासे राग रागिनियों का व्याख्यान लि-
खताहूं ओर अआशारखताहूं कि नवीनसे नवीन पाठक
गणभी इसको देखतेही मात्र समझझेंगे आर अपना म-
नोरथ पूरा करके इस अघी के परिश्रमको सुफठ करके
कृपा दृष्टिसे अवलोकन करगे-झुभम-झभम-शभम

आपनोगों का कृपापात्र
यमानछाठ--
पेशी क्लाक सलेमपुर सब
_ डिवीज़न, मुः्माटपार

खिकदडसकमयडो इलानकान्यरस
 
Annotationen