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Browning, Colin A. R.; Sena, Rāmacandra [Übers.]
Hidāyatanāmā — Lakhanaū: Navalakiśora, 1871

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https://doi.org/10.11588/diglit.51639#0011
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चिदायतनामा -
सदारिस्देहाती ॥

द०१--जिसयां मे निवासी वा मालगुज़ार मदसेके निमित्त स्थानके
नियत करनेमें उद्यत वा सहांयकहेां वा काइस्थान पाठशालाके योंग्य


शालाकीवद्धि आर उत्तमताकेलिये अवश्यहे कि स्थानमनोहर-दृढ़-सव ते
सखद नगरकेमध्यमें रसा हे जहांक्रोलाहलनहा' और रेसाबड़ाहों कि
अध्यापक अपनी स्थितिसेहनी सबके देखसके ओर पघाठशालाके अति
समीप १ क्रीडास्थानभी है कि विवद्याधियोंके चिक्तका उज्लार रेसेहोस्थान
पर यधावस्थित विदितहेाताहे श्रार अध्यापकों उनके कर्म श्रार आ-

चरया स्धारनेका अवसर मिलताहै ॥ प्रतिमद्सेमें यदि वह स्थानसर-

_ क्ारोड्ा ता न्यन से न्यन १ सेज १ संदक़ १. वार्सो ओर पठानेका' साहित्य
वात पस्तक . बोर्ड-स्लेंट-चिच-नक़शह-बिदछोना आदि हाना अवश्य

इसबविघयमें अध्यापक अपने जिलशअके डिपटोइन्स्पैकुरसे प्राथेनाकरे ॥

पर जिसशा लाएं -बिद्धोनाबिद्धा वा प्रतिसप्राह् एथ्वी लोपी जाती है। वहां

न्यध्यापक और बिद्यार्थों का देशी जता पहनकर भीतर न. जानें ओर

जहां बिद्धीना आदिनहे। वहांसमासदॉकी आज्ञा नकल बिचारहेागा ॥

पाठशालाका स्थान स्वच्छ शुद्ध रहें नहाता रोगादिक उत्पन्नहागे ॥

अध्यापक और विद्या्धियांक्षि रोगीहानेसे शालाकीवबृद्धि न होगी
इससे शुद्धलाशा ला को अत्याअवध्यहै ॥ सबसा हित्य प्रतिदिन गददे-मिट्टी-
आदि उपाधिसे शुद्धुरहें ॥ ओर बाहर-मीतर-ऊपर-नीचे-कूड़ा आदि न
रहे ॥ शोर स्थान की मरम्मत ले एक आदमी दिन मरमें करसके उसी
 
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