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Browning, Colin A. R.; Sena, Rāmacandra [Übers.]
Hidāyatanāmā — Lakhanaū: Navalakiśora, 1871

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https://doi.org/10.11588/diglit.51639#0043
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ग्रकर्ट नच्ाछाताहे ॥#

लम्हारे माता पिता तम्हसले व्या अति प्रीति करतेहें
थे बातां ऐसीहे था नहीं ॥

बहुत प्रीति करतेहें ॥ हि

निद्ययह्े कि बे तमके। प्रसन्नरखना उत्तमसा नतेहों ॥

निस्सन्द्ह् ॥ 2.

तम उसमनष्यका जे परतन्त्रतामें हा ओर यथेच्छका ये
करननपावे उत्तपजानते हा

नहीं ॥

यदितन्हारे माता पिता तमसे प्रीति करते श्र प्रसन्न
रखनामी चाहतेहें तोबे. तुम्हारे प्रसन्न हानेकेनिमित्त प्र-
त्येक प्रयत्न करते हों ॥ गण

निस्सन्द है ॥

फिर ब्या वे तमके यथेच्छकाम करने देते और कभी
लिरस्कार और निधेथ नहों करतेहें ॥ _ )

है सक्ारात बडाधा विषयांमं बाधक डॉातहें ॥ द

फिर तुम किसम्रकार कहतेहें कि वे तुमको प्रसन्न र-
खना चाहते ओर यथेच्छकाय॑ करने में बाधक छोतेहें; अब
मुभका बतलाओं कि यदि तुम अपने पिताकी गाड़ी पर
सबार हो और अपने हाथ लगामलेकर घड़दौडकी शत के
समय हाॉकना चाहा ता बेतमका आज! दगे वा निधेधक


बाधक हाँगे ॥
फिर वो किसका आज्ञादेंगे ॥
 
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