समिका
. बहुधा पार्टशालाओं में पुस्तक गुटका पढ़ाई जाती है ओर उसके
ब्यनेक स्थानों में छंद आते हैं बलकि छंदावद्ध काव्य ही जदा लिखा है
परत येसी काइ प्रथक छंद की पस्तक-नहीं है जिससे प्रस्तार पवेक
लड़कों का द्ंदों का ज्ञान
इस कारण सभझ कन्हेपालाल प्रथम कन्ताध्यापक मदरसह दस्तर
ब्पलतालीप मेरठ ने पंडिस प्रिंडोशंकर रयखाज़ों के अध्यापक की सह्ा-
यता से इस गंध के बना कर इसका नास छन्द: प्रदोप रक्ष्खा ॥
. बहुधा पार्टशालाओं में पुस्तक गुटका पढ़ाई जाती है ओर उसके
ब्यनेक स्थानों में छंद आते हैं बलकि छंदावद्ध काव्य ही जदा लिखा है
परत येसी काइ प्रथक छंद की पस्तक-नहीं है जिससे प्रस्तार पवेक
लड़कों का द्ंदों का ज्ञान
इस कारण सभझ कन्हेपालाल प्रथम कन्ताध्यापक मदरसह दस्तर
ब्पलतालीप मेरठ ने पंडिस प्रिंडोशंकर रयखाज़ों के अध्यापक की सह्ा-
यता से इस गंध के बना कर इसका नास छन्द: प्रदोप रक्ष्खा ॥