२९
इतिहाससमुच्चय भाषा ।
जाता है उसका फल वहां नहीं भोगाजाताहै ४६ इस
पृथ्वीको कर्मभूमि कहते हैं और उस स्वर्ग को स्वर्ग
फल भूमि कहते हैं ४७ मुद्गल बोला कि; तुमने नि-
श्चय करके यह बड़े स्वर्गके दोष वर्णन किये अब बड़ा
निर्दोष शाश्वत अर्थात् निश्चल जो लोक होय उसका
वर्णन करो ४८ देवदूत बोला हे महामुने ! ब्रह्मलोक से
लेके जहांतक यह लोक हैं सब में यही दोष हैं इसी हेतु
से ज्ञानी पुरुष किसी स्वर्गकी इच्छा नहीं करतेहैं ४९
ब्रह्मा के लोक से ऊपर विष्णु को परमपद है वह शुद्ध
सनातन और ज्योतिरूप है उसीको ज्ञानीलोग पर-
ब्रह्मरूप ब्रह्मपद बोलते हैं ५० वहां विषयात्मक मूढ़
पुरुष नहीं प्राप्त होते हैं और दम्भ, लोभ, मद, द्रोह,
क्रोध और मोह इनसबसे रहित पाप पुण्यसे वर्जित जिते-
न्द्रिय होकर ध्यान में प्रीति करनेवाले साधुजनही वहां
निवास करते हैं ५१ । ५२ हे मुद्गल ! जो तुमने मुझसे
पूछा वह सब मैंने कहा अब शीघ्रता से इस विमान पर
मेरे साथ स्वर्गको चलो ५३ व्यासजी बोले कि, ऐसे
दूत के मुखसे सब वृत्तान्त सुनके वह उस दूत से कहने
लगा कि आप जहांसे आयेहो वहांही जाओ मैं स्वर्ग
को नहीं जाऊंगा ५४ और देवराज इन्द्रादिक समेत
सब ब्रह्मर्षियोंसे मेरा प्रणाम कहकर मेरी ओरसे बन्दना-
पूर्वक क्षमापन करवादेना ५५ व्यासजी ने कहा कि वह
धर्मात्मा मुद्गल मुनि देवदूत से ऐसा कहकर पुनरा-
वृत्तिवाले स्वर्ग के सुखों की इच्छासे रहित होगया ५६
इसके पीछे स्वर्ग की कामना से रहित होके उस
29
itihāsasamuccaya bhāṣā |
jātā hai usakā phala vahāṃ nahīṃ bhogājātāhai 46 isa
pṛthvīko karmabhūmi kahate haiṃ aura usa svarga ko svarga
phala bhūmi kahate haiṃ 47 mudgala bolā ki; tumane ni-
ścaya karake yaha baड़e svargake doṣa varṇana kiye aba baड़ā
nirdoṣa śāśvata arthāt niścala jo loka hoya usakā
varṇana karo 48 devadūta bolā he mahāmune ! brahmaloka se
leke jahāṃtaka yaha loka haiṃ saba meṃ yahī doṣa haiṃ isī hetu
se jñānī puruṣa kisī svargakī icchā nahīṃ karatehaiṃ 49
brahmā ke loka se ūpara viṣṇu ko paramapada hai vaha śuddha
sanātana aura jyotirūpa hai usīko jñānīloga para-
brahmarūpa brahmapada bolate haiṃ 50 vahāṃ viṣayātmaka mūढ़
puruṣa nahīṃ prāpta hote haiṃ aura dambha, lobha, mada, droha,
krodha aura moha inasabase rahita pāpa puṇyase varjita jite-
ndriya hokara dhyāna meṃ prīti karanevāle sādhujanahī vahāṃ
nivāsa karate haiṃ 51 | 52 he mudgala ! jo tumane mujhase
pūchā vaha saba maiṃne kahā aba śīghratā se isa vimāna para
mere sātha svargako calo 53 vyāsajī bole ki, aise
dūta ke mukhase saba vṛttānta sunake vaha usa dūta se kahane
lagā ki āpa jahāṃse āyeho vahāṃhī jāo maiṃ svarga
ko nahīṃ jāūṃgā 54 aura devarāja indrādika sameta
saba brahmarṣiyoṃse merā praṇāma kahakara merī orase bandanā-
pūrvaka kṣamāpana karavādenā 55 vyāsajī ne kahā ki vaha
dharmātmā mudgala muni devadūta se aisā kahakara punarā-
vṛttivāle svarga ke sukhoṃ kī icchāse rahita hogayā 56
isake pīche svarga kī kāmanā se rahita hoke usa
इतिहाससमुच्चय भाषा ।
जाता है उसका फल वहां नहीं भोगाजाताहै ४६ इस
पृथ्वीको कर्मभूमि कहते हैं और उस स्वर्ग को स्वर्ग
फल भूमि कहते हैं ४७ मुद्गल बोला कि; तुमने नि-
श्चय करके यह बड़े स्वर्गके दोष वर्णन किये अब बड़ा
निर्दोष शाश्वत अर्थात् निश्चल जो लोक होय उसका
वर्णन करो ४८ देवदूत बोला हे महामुने ! ब्रह्मलोक से
लेके जहांतक यह लोक हैं सब में यही दोष हैं इसी हेतु
से ज्ञानी पुरुष किसी स्वर्गकी इच्छा नहीं करतेहैं ४९
ब्रह्मा के लोक से ऊपर विष्णु को परमपद है वह शुद्ध
सनातन और ज्योतिरूप है उसीको ज्ञानीलोग पर-
ब्रह्मरूप ब्रह्मपद बोलते हैं ५० वहां विषयात्मक मूढ़
पुरुष नहीं प्राप्त होते हैं और दम्भ, लोभ, मद, द्रोह,
क्रोध और मोह इनसबसे रहित पाप पुण्यसे वर्जित जिते-
न्द्रिय होकर ध्यान में प्रीति करनेवाले साधुजनही वहां
निवास करते हैं ५१ । ५२ हे मुद्गल ! जो तुमने मुझसे
पूछा वह सब मैंने कहा अब शीघ्रता से इस विमान पर
मेरे साथ स्वर्गको चलो ५३ व्यासजी बोले कि, ऐसे
दूत के मुखसे सब वृत्तान्त सुनके वह उस दूत से कहने
लगा कि आप जहांसे आयेहो वहांही जाओ मैं स्वर्ग
को नहीं जाऊंगा ५४ और देवराज इन्द्रादिक समेत
सब ब्रह्मर्षियोंसे मेरा प्रणाम कहकर मेरी ओरसे बन्दना-
पूर्वक क्षमापन करवादेना ५५ व्यासजी ने कहा कि वह
धर्मात्मा मुद्गल मुनि देवदूत से ऐसा कहकर पुनरा-
वृत्तिवाले स्वर्ग के सुखों की इच्छासे रहित होगया ५६
इसके पीछे स्वर्ग की कामना से रहित होके उस
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itihāsasamuccaya bhāṣā |
jātā hai usakā phala vahāṃ nahīṃ bhogājātāhai 46 isa
pṛthvīko karmabhūmi kahate haiṃ aura usa svarga ko svarga
phala bhūmi kahate haiṃ 47 mudgala bolā ki; tumane ni-
ścaya karake yaha baड़e svargake doṣa varṇana kiye aba baड़ā
nirdoṣa śāśvata arthāt niścala jo loka hoya usakā
varṇana karo 48 devadūta bolā he mahāmune ! brahmaloka se
leke jahāṃtaka yaha loka haiṃ saba meṃ yahī doṣa haiṃ isī hetu
se jñānī puruṣa kisī svargakī icchā nahīṃ karatehaiṃ 49
brahmā ke loka se ūpara viṣṇu ko paramapada hai vaha śuddha
sanātana aura jyotirūpa hai usīko jñānīloga para-
brahmarūpa brahmapada bolate haiṃ 50 vahāṃ viṣayātmaka mūढ़
puruṣa nahīṃ prāpta hote haiṃ aura dambha, lobha, mada, droha,
krodha aura moha inasabase rahita pāpa puṇyase varjita jite-
ndriya hokara dhyāna meṃ prīti karanevāle sādhujanahī vahāṃ
nivāsa karate haiṃ 51 | 52 he mudgala ! jo tumane mujhase
pūchā vaha saba maiṃne kahā aba śīghratā se isa vimāna para
mere sātha svargako calo 53 vyāsajī bole ki, aise
dūta ke mukhase saba vṛttānta sunake vaha usa dūta se kahane
lagā ki āpa jahāṃse āyeho vahāṃhī jāo maiṃ svarga
ko nahīṃ jāūṃgā 54 aura devarāja indrādika sameta
saba brahmarṣiyoṃse merā praṇāma kahakara merī orase bandanā-
pūrvaka kṣamāpana karavādenā 55 vyāsajī ne kahā ki vaha
dharmātmā mudgala muni devadūta se aisā kahakara punarā-
vṛttivāle svarga ke sukhoṃ kī icchāse rahita hogayā 56
isake pīche svarga kī kāmanā se rahita hoke usa